इंदौर शहर का इतिहास भाग -2


यह पोस्ट इंदौर शहर का इतिहास भाग -1 के आगे की पोस्ट है . 


पहली पोस्ट में हमने यह जाना था :

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अहिल्या बाई के बाद इंदौर पर किन राजाओ ने राज किया और ब्रिटिश इंदौर कब आये यह हम इस भाग में जानेगे तो चलिए आगे बढ़ते है :


तुकोजी राव होलकर प्रथम 


  • अहिल्याबाई की मृत्यु के बाद वयोवृद्ध तुकोजीराव होलकर प्रथम जो उनके विश्वनीय कमांडर इन चीफ थे, पदभार संभाला  और अहिल्याबाई के उदारहण अनुसार राज्य का प्रशासन करने की कोशिश की । 
  • 1797 में अपने शिविर में उनका निधन हो गया । 
  • उनकी मृत्यु से होलकर राज्य में अब उत्तराधिकारी को लेकर समस्याएं उत्पन्न हो गयी ।

काशीराव होलकर



  • महाराजा तुकोजीराव होलकर के चार पुत्र थे , यशवंत राव होकर, काशीराव होलकर, मल्हार राव होलकर द्वितीय, विठोजी राव होलकर ।  
  • तुकोजीराव ने काशीराव को उनके उत्तराधिकारी बनाने की इच्छा की थी, जब अहिल्याबाई जीवित थी, इसलिए उन्हें क़ानूनी रूप से वारिस घोषित किया गया । 
  • अन्य तीनो भाइयो ने काशीराव को उखाड फेका, सिंधिया और पेशवा काशीराव के पक्ष में थे और 1797 में एक साजिश के माध्यम से मल्हार राव को मार दिया गया था ।  
  • विठोजी और  यशवंत राव भाग निकले लेकिन बाद में यशवंत राव को कैदी बना लिया गया । 
  • विठोजी भी पेशवा द्वारा पकड़ लिए गये और 1801 में क्रूरता से मारे गये थे ।

यशवंत राव होलकर प्रथम
 
 


(तस्वीर: विकिपीडिया)

(तस्वीर: विकिपीडिया)
  • यशवंतराव अंततः भौसले राजा से बचकर 1798 में भाग गये और अपनी छोटी सी सेना बनाने में कामयाब हुए और उन्होंने उत्तर खानदेस पर छापा मारा। 
  • जब काशीराव को उनके ठिकाने के बारे में पता चला तो उन्होंने उनके खिलाफ अभियान चलाया । 
  • यशवंत राव ने बडवानी के पास नर्मदा को पार किया और धार में पहुचे जहाँ उन्हे धार के शाशक ने शरण दी । 
  • इस समय तक यशवंत राव ने अपनी ताकत बढ़ा ली थी । 
  • यशवंत राव खुले तौर पर काशी राव और सिंधिया के खिलाफ हो गये । 
  • दिसंबर 1798 में यशवंत राव होलकर ने शेवेलियर डूडर्स की सेना को हराया और महेश्वर पर कब्ज़ा कर लिया, जनवरी 1799  में उन्हें राजा का ताज पहनाया गया। 
  • 1800 की शुरुआत से यशवंत राव ने सिंधिया के खिलाफ हार और भारी नुकसान के तहत अभियान चलाया । 
  • सिंधिया ने इंदौर में तबाही करके बदला लिया, जो होलकर ने उज्जैन शहर (उज्जैन सिंधिया की राजधानी) में किया था । 
  • इंदौर के राजवाडा को जला दिया गया और अत्याचार किये गये। 
  • यशवंत राव रतलाम के रास्ते पर उत्तर की तरफ राजस्थान जाने जाने की और आगे बढ़ गये । 
  • अक्टुबर 1802 में उन्होंने पुणे की लड़ाई में सिंधिया और बाजीराव पेशवा की संयुक सेना को हराया, इस लड़ाई के वास्तव में कुछ दूरगामी प्रभाव हुए। 
  • यशवंत राव के हाथो हारकर पेशवा भाग गये जिससे यशवंत राव होलकर के हाथ में मराठा राज्य की बागडोर आ गयी, इससे मराठा संघ का विघटन हुआ और भारत में ब्रिटिश सट्टा की सर्वोच्चता की स्थापना हुई । 
  • उन्होंने अम्रतराव को पेशवा के रूप में नियुक्त किया और 13 मार्च 1803 को इंदौर लौटे। 
  • यशवंत राव की बैचेन आत्मा को शांति नहीं मिली और वह आक्रामक तरीके से आगे बढे । 
  • उन्होंने पहले ही सेंधवा, चालीसगाँव, धुलिया, पारोल, नेर, अहमदनगर, राहुर, नाशिक, सिन्नर, डोंगरगांव, थलनेर, और जेजुरी और कई अन्य स्थानों पर विजय प्राप्त की थी । 
  • जनरल वेलेस्वी को एक पत्र में उन्होंने मांग की थी :-
  1. शुल्क इकट्ठा करने के लिए होलकरो का अधिकार मान्यता प्राप्त होना चाहिए । 
  2. दोब में होलकर परिवार के पुश्तैनी दावे और बुंदेलखंड में एक परगना के अधिकार को मान्यता दी जानी चाहिए । 
  3. हरियाणा राज्य जो पूर्व में होल्कर का था उसको आत्मसमपर्ण करना चाहिए । 
  4. अब राष्ट्र का दायित्व होलकरो के अधीन कर देना चाहिए और कहा - " हालाँकि युद्ध में हम आपकी तोपों का विरोध करने में असमर्थ है, फिर भी कई मीलो फैले राज्य को उखाड़ फेका जायेगा और लुट लिया जायेगा । ब्रिटिशो को एक पल के लिए भी सांस लेने के लिए अवकाश नही होगा और मेरी सेना के निरंतर हमलो से विनाश होगा ।  
  • जब जनरल पेरान के एजेंट ने एक सन्देश के साथ उनका दौरा किया, " यशवंत राव ने अपने घोड़े और भाले की तरफ इशारा करते हुए कहा - जब तक मुझे सोने के लिए छाया और निर्वाह के साधन मिलेगे, मेरे घोड़े की जीन कसी रहेगी तब तक राज्य का प्रभुत्व कायम रहेगा । 
  • 4 मार्च 1804 के पत्र में जेन लेक को लिखा, मेरा राज्य और सम्पति मेरे घोड़े की काठी पर है, मेरे बहादुर योद्धाओ के घोड़ो की कमाने किसी भी दिशा में बदल दी जाएगी, पूरा राज्य उस दिशा में मेरे कब्जे में आ जायेगा, आप बुद्धिमान और भरोसेमंद है, आप इस मामले के परिणामो पर विचार करेगे और महत्वपूर्ण मामलो को सुलझाने में खुद को नियोजित करेगे जिन्हें मेरे द्वारा समझाया जायेगा । 
  • जून 1804 में यशवंत राव होलकर ने बुंदेलखंड में ब्रिटिश सेना को हराया जिससे अंग्रेजो का अपमान हुआ । 
  • अगले महीने उन्होंने मुकंदरा और कोटा में फिर से ब्रिटिशो की सेना को हरा दिया । उसी साल उन्होंने ब्रिटिशो को अधिक नुकसान पहुचाया, अक्टूबर 1804 में दिल्ली पर हमला कर के मुग़ल सम्राट शाह आलम द्वितीय को जो की अंग्रजो द्वारा कैद कर लिए गये थे उन्हें आजाद करवाया गया । 
  • शाह आलम ने उन्हें महाराजधिराज राजराजेश्वर आलिजा बाहादुर का ख़िताब दिया । 
  • यशवंत राव की बहादुरी और सैन्य कौशल को समझते हुए अंततः 24 दिसम्बर 1805 को राजपुर घाट की संधि सप्मन्न कर दी गई । 
  • महाराजा यशवंत राव होलकर ने विभिन्न राजाओं को पत्र लिखकर एकजुट होकर ब्रिटिशो के खिलाफ लड़ाई की, उन्होंने कहा - " प्रथम देश - फिर धर्म,  हमें जाती, धर्म और हमारे राज्यों से उपर होकर देश के हित में सोचना होगा । आपको भी मेरे जैसे ब्रिटिशो के खिलाफ युद्ध करना चाहिए" । उनकी अपील अनसुनी रही क्योकि उन सभी ने पहले ही अंग्रेजो के साथ संधियों पर हस्ताक्षर किये थे । 
  • उन्होंने महसूस किया की अंग्रेजो से लड़ने के लिए और तोपखाने की आवश्यकता है, इसलिए उन्होंने तोपों का निर्माण करने के लिए भानपुरा में बन्दुक कारखाना खोला और दिन-रात काम किया । 
  • अक्टूबर 1811 में उनकी भानपुरा में मृत्यु हो गयी जहा एक क्षत्री निर्मित हुई। 
  • एक सैन्य रणनीतिकार के रूप में वह भारत के सबस बड़े जनरलों में शामिल है उनकी वीर उपलब्धियों उनकी सैन्य प्रतिभा, राजनेतिक बुद्धि और अविनाशी उद्योग के लिए उन्हें अक्सर "भारत का नेपोलियन "  कहा गया ।

मल्हार राव होलकर तृतीय 



  • यशवंत राव होलकर के निधन के बाद, युवा मल्हार राव होलकर, उनका दत्तक पुत्र शासक बन गया । 
  • अक्टूबर 1813 ने लार्ड हेस्टिंग्स भारत आये और महसूस किया की हमारे साम्राज्य की सुरक्षा और स्थिरता के लिए केंद्रीय भारत का निपटारा आवश्यक है। 
  • उन्होंने परिणामस्वरूप तैयारी शुरू कर दी यधपि ब्रिटिश ने इसे पिंडारी  युद्ध के रूप में संदर्भित किया है, इसे तीसरा और आंग्ल मराठा युद्ध कहा जाता है । 
  • मराठो के  साथ अंतिम और निर्णायक युद्ध के लिए 1,10,400 ईस्ट इंडिया कंपनी के सैनिको की भारत ने सबसे बड़ी ब्रिटिश नियंत्रित सेना तैयार की गयी । 
  • मराठो को एहसास हुआ की इस तरह के युद्ध की तैयारी केवल पिंडारियो के खिलाफ नही थी बल्कि उनके खिलाफ भी निर्देशित की जाएगी। 
  • प्रारंभ में दबाव और कूटनीति का प्रयोग ब्रिटिश द्वारा किया गया था यकीन इससे कोई फायदा नही हुआ । 
  • कम्पनी ने सिंधिया को अपनी सेना देने तथा पेशवा से एक संधि करके सहयोग मांगा । 
  • दौलतराव सिंधिया ने ब्रिटिश सेना के तटस्थ बने रहने के लिए संधि पर हस्ताक्षर किये । 
  • हालाँकि पेशवा ने पूना के निवास पर हमला किया, जिसको अंगेजो ने तत्काल पुन: कब्ज़ा कर लिया फिर खडकी में पेशवा को हरा दिया । 
  • बाजीराव पेशवा भाग गये, लेकिन बाद में जून 1818 में उन्हें पकड़ लिया गया । 
  • नागपुर के  राजा अप्पा साहेब सीताबादी में अन्ग्रेजो से लड़े और पराजित हो गये । 
  • पिंडारी बैंड भी नष्ट हो गये और उनके खिलाफ करवाई बिना किसी कठिनाई के जारी रही । 
  • अब ब्रिटिशो के लिए केवल होलकरो से निपटना बाकि रह गया था । 
  • सर जॉन मैल्कम ने होलकर की अदालत में अपने राजनयिक मिशन को बिना किसी सफलता के कई दिनों तक अपनाया । 
  • होलकर के सैन्य नेता इसके खिलाफ थे और लड़ाई के लिए निश्चयी थे । 
  • 21 दिसम्बर 1817 को महिदपुर की लड़ाई शुरू हुई, कंपनी की सेना में 40,000 पैदल सेना, 1300 घुड़सवार और 14 तोपे शामिल थे । 
  • होलकर में 10,000 पैदल सेना , 4000 घुड़सवार, और 80 तोपे थी । 
  • ब्रिटिश चार्ज ने दोपहर में मैल्कम और हिल्सलोप द्वारा नेतृत्व किया था । 
  • नदी के सामने होने के बाद होलकर सेना की स्थिति मजबूत थी । 
  • संख्यात्मक ताकत के नुकसान के बावजूद महान बहादुरी और नेतृत्व को 12 वर्षीय महाराजा मल्हार राव होलकर और उनकी 20 वर्ष की विधवा बहन भीमाबाई ने प्रदर्शित किया था, हालाँकि ब्रिटिश सेना ने होलकर की सेना को नष्ट कर दिया ।
  • मल्हार राव, गणपत राव और तात्या जोग युद्धक्षेत्र से बचकर मंदसौर पहुचे । 
  • सर जॉन मैल्कम फिर से अपने राजनयिक मिशन के लिए क्रियाशील रहे । 
  • अंततः शांति की एक संधि के तहत 6 जनवरी 1818 को सर जॉन मैल्कम और तात्या जोग के बीच मंदसौर में हस्ताक्षर हुए, परिणामस्वरूप  होलकर ने अपने दो तिहाई प्रदेशो को खो दिया । 
  • हालाँकि भीमाबाई होलकर ने गुडरेल्ला हमलो द्वारा ब्रिटिशो के खिलाफ संघर्ष जारी रखा, एसा कहा जाता है की झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई भीमाबाई से प्रेरित थी । 

ब्रिटिश इंदौर आए


  • संधि हिस्से के रूप में, मल्हार राव तृतीय ने अपनी राजधानी इंदौर में  स्थान्तरित कर दी, अंग्रेजो ने इंदौर में एक आवासीय स्थान और महू में छावनी का निर्माण किया । 
  • गोरल्ड वेलेस्ली को इंदौर का निवासी नियुक्त किया गया, जबकि सर जॉन मैल्कम को मध्य भारत का राजनेतिक और  सैन्य उत्तरदायित्व दिया गया, तात्या जोग को मंत्री नियुक्त किया गया । 
  • इंदौर ने एक छोटे शहर से एक सम्रद्ध राजधानी के रूप में बदलना शुरू कर दिया, युद्ध के दिन ख़त्म हो गये थे। 
  • तात्या जोग ने जमीन के राजस्व का नियमित निपटारा किया और वाणिज्यिक प्रगति का नया युग शुरू किया । 
  • जॉन मैल्कम अपने कार्यकाल के तीन वर्षो में, महू कटानमेंट की स्थापना की और इस क्षेत्र के लिए स्मारकीय कार्य किये । 
  • सरकारी आवास की यह प्रणाली ब्रिटिशो की अप्रत्यक्ष शासन की एक नीति थी जिसमे शाही राज्यों को आस्तित्व में रखने की अनुमति थी लेकिन उनके सरंक्षण के तहत । राज्यों को अपने खुद के दरबारों की अनुमति दी गयी थी उन्हें ब्रिटिश सैन्य और तीसरे पक्षों से राजनेतिक सरंक्षण का आश्वासन दिया गया था । प्रतिनिधी ने सलाह दी, विवादों में हस्तपेक्ष किया और प्रगतिशील सरकार के यूरोपीय विचारो को बढ़ावा देने के माध्यम से आधुनिकीकरण करने के तरीके सुझाये । 
  • राज्य के काम का बड़ा हिस्सा मंत्री तात्या जोग ने किया था, जिन्हें प्रतिनिधि द्वारा सहायता प्रदान की गयी  थी । 
  • अप्रेल 1826 में सक्षम मंत्री तात्या जोग की म्रत्यु हुई, जिससे राज्य को झटका लगा । उन्होंने न केवल होलकर राज्य को बचाया बल्कि मुश्किल समय में कुशलता से संचालित भी किया । इंदौर के क्षत्रिबाग में शाही परिवार के सदस्यों के साथ उनका भी स्मारक बनाया गया । 
  • 1829 में थुग्गी के खिलाफ एक अभियान शुरू हुआ, मेजर स्लेमेंन गिरप्तार ठगों पर मुक़दमा चलाने के लिए  इंदौर पंहुचा करता था, यह 1830 से 1835  तक चला । 
  • सिंधिया के जनरल सरजेराव घाटगे ने यशवंत राव के समय इंदौर राजवाडा को जला दिया था, मल्हार राव होलकर ने राजवाडा का पुन: निर्माण किया और पंढरीनाथ मंदिर का निर्माण किया ।
मार्तण्डराव होलकर (1833 - 1834)



  • मल्हाराव होलकर तृतीय का निसंतान निधन हो गया, परन्तु उनकी पत्नी गौतमाबाई  ने म्रत्यु के कुछ समय पहले ही बापुराव होलकर के चार वर्ष के शिशु पुत्र को गोद लिया था, जिसे महाराजा मार्तण्डराव होलकर के रूप में गद्दी पर बैठाया गया । 
  • उत्तराधिकारी के लिए अन्य दावेदारों में भी विवाद था । 
  • अंग्रेजो ने होलकर सरकार के उत्तराधिकारी के विवाद में हस्तक्षेप न करने की निति को अपनाया, गवर्नर जनरल लार्ड बेंटिनेक ने इस निर्णय को देश की जनता आर छोड़ दिया । 
हरिराव होलकर  

(तस्वीर: विकिपीडिया)
  • अंततः सन 1834 में हरिराव को औपचारिक रूप से  गद्दी पर बैठाया गया जल्द ही गवर्नर जनरल ने लिखित रूप से मान्यता दी। 
  • राज्य  के दुर्भाग्य से तात्या जोग की म्रत्यु होने पर पूरा प्रशासन असमंजस में पढ़ गया । 
  • सन 1837 में लार्ड आकलेंड ने राज्य को ब्रिटिश प्रबंधन में लेने की धमकी दी, इस भय से कई परिवर्तन एव सुधार कार्य किये, खर्चो में कटोती की गई, भ्रष्ट अधिकारियो को बर्खास्त किया गया और भूमि मूल्यांकन की समस्या में सुधार लाया गया। 
  • जैसे ही हरिराव महाराज का स्वास्थ्य बिगड़ने लगा , प्रशासन ने उन्हें एक वारिस नामांकित करने के लिए कहा, उन्होंने दूर के रिश्तेदार 13 वर्षीय खांडेराव को सन 1841 में गोद लिया । 

खांडेराव होलकर 



  • हरिराव होलकर का निधन अक्टूबर 1843 में हुवा और अगले माह खांडेराव को गद्दी पर बिठाया गया । 
  • गद्दी पर बिठाने के तीन माह बाद उनका निधन हो गया तब वे 15 वर्ष के थे और अविवाहित थे, उनके निधन के से एक बार फिर होलकर राज्य बिना उत्तराधिकारी के हो गया । 
  • हालत ऐसे थे की होलकर रियासत का आस्तित्व खतरे में था, नए प्रशासक सर राबर्ट हैमिल्टन ने इंदौर में कार्यालय डाला था, माँ साहब की रजामंदी से उन्होंने जून 1844 में भाउ होलकर के छोटे बेटे तुकोजीराव (द्वितीय) को बिठाया था । 

तुकोजीराव होलकर द्वितीय ( 1844 - 1886 )


(तस्वीर: विकिपीडिया)

  • तुकोजी राव होलकर द्वितीय इंदौर के बेहतरीन शासको में से एक थे, ऐसे में उन्हें मोर्डेन इंदौर के आधुनिक निर्माता के रूप में बुलाना अनुचित नहीं होगा । 
  • निम्न उपलब्धियों का श्रेय महाराजा तुकोजीराव को दिया जा सकता है । 
  • राजवाडा से कुछ दुरी पर एक सार्वजनिक पुस्तकालय इंदौर जनरल लायब्रेरी । 
  • एक सिचाई विभाग की शुरुआत । 
  • शहर और जिला पुलिस में सुधार करने के लिए शहर फौजदार की नियुक्ति की गई और इंदौर राज्य की सीमा के अन्दर बाम्बे आगरा रोड पर गुजर रहे यातायात की सुरक्षा के लिए एक अधिकारी नियुक्त किया गया । 
  • पिपलया (पिपलया पाला आज का क्षेत्रीय पार्क ) में पेय जल की योजना का निर्माण किया गया, शहर से लगभग 7 - 8 किलोमीटर दूर से पाइप के जरिये पीने के पानी  को शहर के मध्य लाया गया । 
  • पंचायत प्रणाली शुरू की गयी…… वर्ष 1872 से न्यायिक व्यवस्था का पुनर्गठन शुरू किया और वर्ष 1875 में नियमित अदालते पुरे राज्य में स्थापित की गई । 
  • न्यायिक और पुलिस विभागो का पुनर्गठन किया गया और राज्य डाक विभाग की स्थापना की गयी, वर्ष 1866 में इंदौर में एक टेक्स टाइल मील की स्थापना की गयी, जो मोटे कपड़े का उत्पादन करती थी । 
  • यह भारत में पहली कपास मील थी । 
  • 1896 में उन्होंने खंडवा - इंदौर लाइन के निर्माण के लिए ब्रिटिश सरकार को एक करोड़ रूपये का ऋण देने की पेशकश की थी, जिसे होलकर स्टेट रेलवे के रूप में जाना जाता था । 
  • उसी वर्ष इंदौर नगर पालिका आस्तित्व में आई । 
  • सुखनिवास पैलेस 1883 का निर्माण भमोरी टैंक, इंदौर के दक्षिण - पश्चिम से सात मील की दुरी पर हुआ, हवा महल का निर्माण एक उच्च टीले पर इंदौर के दक्षिण - पश्चिम में लगभग पांच मील की दुरी पर किया गया । 
  • 42 वर्षो के लम्बे शासन काल के बाद, 17 जून 1886 को उनका निधन हो गया । 
  • उनका शासन काल असाधारण गौरव का था, जिसमे राज्य को सम्रद्धि और सामर्थ की उल्लेखनीय श्रेणी में लाया गया, उनके लम्बे शासन काल में सुधार हुए और राज्य की आय 22 लाख रूपये से बढ़कर 85 लाख हो गई। 

शिवाजी राव होलकर  ( 1886 - 1903 )



  • सन 1885 में शिवाजी राव जो तुकोजी राव होलकर के बड़े पुत्र थे, ने उनके सफल शासन को प्राप्त किया । 
  • उन्होंने अपने प्रतिष्ठित पिता के अच्छे कार्यो को आगे बढाया, उन्होंने राज्य  में व्यापार को बढ़ावा देने के लिए पारगमन शुल्क समाप्त किया फिर भी राज्य के लिए अधिक राजस्व प्राप्त किया । 
  • राज्य के राजस्व ढांचे  में बहुत सी विसंगतिया थी, इंदौर रेसीडेंसी बाजार और महू छावनी बाजार अंग्रेजो के अधीन नहीं होने से कर मुक्त थे, इस विसंगति को दूर करने के लिए शिवाजी राव ने एक कर मुक्त बाजार की स्थापना की जो शिवागंज कहलाया जो की आज सियागंज के नाम से जाना जाता है, उन्होंने रालामंडल पहाड़ी पर एक दो मंजिला शिकार गाह का निर्माण करवाया जो गर्मियों के लिए एकांतवास के रूप में भी जाना जाता है । 
  • 1861 एव 1896 में क्रमश: लार्ड लैसडाउन एव लार्ड एल्गिन ने राज्य का दौरा किया । 
  • 1899 में अंग्रेजो द्वारा इंदौर राज्य को सुचारू रूप से चलाने के लिए एक प्रथक प्रशासन नियुक्त किया गया अब महाराज को सभी मामलो में प्रशासन से परामर्श करना जरुरी था । 
  • 1899 - 1900  के मध्य गंभीर अकाल और 1903 में प्लेग की महामारी से राज्य के संसाधनों की क्षति हुई । 
  • 1902 में अंग्रेजो ने रूपये को राज्य के मानक सिक्के के रूप में अपनाया । 
  • महाराज व्यक्तिगत रूप से होलकर कालेज एव सचिवालय (मोतिबंगला) की देखभाल करते थे । 
  • जनवरी 1903 में अपने पुत्र तुकोजीराव तृतीय के हित में उन्होंने गद्दी छोड़ दी ।  
  • सन 1908 में उनका निधन हो गया । 

तुकोजी राव होलकर तृतीय  (1903 - 1926)



  • सामाजिक सुधार के क्षेत्र में 1915 में तुकोजी राव होलकर ने हिन्दू विधवा, पुनर्विवाह अधिनियम को लागू किया । उस समय भारत में किसी भी प्रान्तिक राज्य में नागरिक विवाह कानून लागू  नहीं था । 1916 में सिविल विवाह अधिनियम लागू करने के लिए इंदौर सर्वप्रथम बन गया । इस बात से एक दिलचस्प बात यह ही की कई युवा जोड़े शादी के लिए विभिन्न हिस्सों से इंदौर आये थे । 
  • बाल विवाह को रोकने के लिए 1918 में इंदौर बाल विवाह निवारण अधिनयम लागू किया गया था । 
  • 1927 में तुकोजी राव ने भी नाबालिग लडकियों की शादी करने से रोकने के लिए एक अधिनियम तैयार किया । 
  • व्यापार, वाणिज्य और उद्योग को बढ़ावा देने के लिए, एक उद्योग और वाणिज्य विभाग शुरू किया गया और सूती उद्योग को आगे बढ़ाने के लिए एक राज्य के रासायनिक इंजिनियर की नियुक्ति के साथ एक कपास अनुबंध कार्यालय शुरू किया गया था । 
  • तुकोजी राव होलकर के शासन काल के दौरान ' इंदौर ' राज्य के प्रमुख कपडा उत्पादन और व्यापार केद्र के रूप में विकसित हुआ । 
  • 1909 में इंदौर मालवा यूनाइटेड मिल्स लिमिटेड का उद्घाटन महाराज के द्वारा हुआ । जल्द ही हुकमचंद मिल्स, स्वदेशी कपास और फ्लोर मिल्स, राजकुमार मिल्स और नन्दलाल भंडारी मिल्स की स्थापना हुई ।
  • हजारो श्रमिको को रोजगार मिला और व्यापार विकसित हुआ । 
  • तुकोजी राव को हमेशा इस प्रेरणा के लिए याद किया जाता है । 
  • 1914 में स्वेच्छिक मजिस्ट्रेटो के बेंच की परम्परा शुरू हुई और एक साल बाद इंदौर लॉ रिपोर्ट्स का प्रकाशन भी शुरू किया गया । 
  • इंदौर शहर के उचित विकास के लिए तुकोजीराव ने विश्व प्रसिद्ध शहर योजनाकार पैट्रिक जेडेस को आमंत्रित किया, जिन्होंने इंदौर के दो साल के अध्ययन के बाद 1918 में महाराजा को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की और अपनी सिफारिश को लागु करने के लिए 1924 में एक शहर सुधार ट्रस्ट की स्थापना की गई । स्नेहलतागंज, मनोरमागंज, न्यू पलासिया के विस्तार की योजना बनाई । 
  • 1920 में होलकर राज्य " पंचायत अधिनियम " पारित करने के लिए इंदौर भारतीय राज्यों में पहला था और जिसमे ग्राम पंचायत की स्थापना हुई । 
  • 1922 में राज्य परिषद् को और अधिक शक्तिया दी गई और एक कैबिनेट के स्तर पर उठाया गया और अगले वर्ष इसे कैबिनेट कमेटी का नाम दिया गया । 

यशवंत राव होलकर द्वितीय 



  • 1922 में जीवन बीमा इंदौर में आया था । 
  • 1924 में सभी विभागों को पुनर्गठित किया गया जिससे राज्य की आय में वृद्धि हुई । 
  • राज्य में उच्च पदो पर नियुक्ति के लिए प्रतियोगी परीक्षाओ की एक प्रणाली शुरू की गयी थी । 
  • प्रत्येक विभाग के लिए प्रशासन को सुव्यवस्थित बनाने के लिए 1925 के नियमावली तैयार की गई थी । 
  • 6 सितम्बर 1908 को जन्मे यशवंत राव होलकर (द्वितीय) शाही राज्य के आखिरी शासक थे, चीम स्कुल चार्टर हाउस और क्राइस्ट चर्च, ऑक्सफ़ोर्ड से शिक्षित थे। 
  • उन्हें रीजेंसी काउंसिल के तहत मार्च 1926 में स्थापित किया गया था, और 20 की उम्र ने मई 1930 में शक्तियों के साथ प्रवेश किया गया था । 
  • 1 जनवरी 1935 को उन्हें नाईट ऑफ़ द आर्डर ऑफ़ द इंडियन सम्राज्य बनाया गया था । 
  • उन्होंने इंदौर राज्य के लिए एक विधान परिषद् की स्थापना की और जिसमे प्रधानमंत्री के साथ अन्य मंत्रियो की नियुक्ति हुई। 
  • महाराजा यशवंत राव होलकर कला के प्रशंसक थे, खासकर कला , डेको, आभूषण, वास्तुकला और कार ।
  • वह एक सच्ची पूर्णता सभी में अच्छी गुणवत्ता का होना आवश्यक मानते थे वह खान पान के शौक़ीन एव संगीत प्रेमी एव पाठक थे उन्हें तैराकी, टेनिस, गोल्फ, ब्रिज खेलना एव शिकार खेलना पसंद था वह सब गुणों से संपन्न थे ।
  • उनका द्रष्टिकोण विस्तृत था उनकी विशिष्टता को देखते हुए उनके जैसा कोई भी नही था । 
  • उन्होंने मानिकबाग महल को अपनी सरकारी निवास के लिए बनाया । 25 वर्ष की आयु में उन्होंने एक युवा जर्मन वास्तुकार को नियुक्त किया, 26 वर्षीय मतिशीस ने  इंदौर में उनके लिए महल का निर्माण किया मानिकबाग अंतर्राष्ट्रीय रूप में आशुनिकता उत्कृष्टता का नमूना है। 
  • यशवंत राव होलकर एक अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर शिक्षित राजकुमार थे ।
  • मानिकबाग के अंदरूनी सजावट, शीर्षतम कलाकारों और  डिजाईनरो के है । 
  • वह फैशन को एक नया रूप देने के लिये था और होलीवूड सितारे द्वारा उनका अनुकरण करने के लिए जाना जाता है । उन्होंने होलीवूड की फिल्म का निर्देशन भी किया ।
  • ये सभी शब्द समुद्र में केवल बूंद के समान है जो की यशवंत राव होलकर के व्यक्तित्व के लिए कहे गये है । 
  • इसके अलावा उन्होंने :
  1. किसानो की मदद के लिए राज्य में सहकारी समिति खोली ।
  2. इंदौर में जल आपूर्ति और जल निकासी व्यवस्था शुरू की । 
  3. एक होलकर क्रिकेट टीम शुरू हुई जिसमे प्रसिद्ध भारतीय क्रिकेटर खेले। 
  4. कर्नल सी. के. नायडू, मुश्ताक अली, विजय हजारे, इस टीम ने 1945, 47,  48, 50 और 1951 में रणजी ट्राफी जीती । 
  • यशवंत राव होलकर शैली, फैशन, कला, डिजाईन  और जीवन शैली की दुनिया में एक अन्तर्राष्ट्रीय ब्रांड बन गये और      उन्हें सर्वोच्च सम्मान से सम्मानित किया गया । 
  • उनके बहुमुखी व्यक्तित्व को समझने के लिए उनके कुछ सार्वजनिक भाषणों से कुछ निष्कर्ष से उन्हें जाना जा सकता है । 
  • 1941 तथा 42 में विद्यार्थियों को राज्य के पटेल  एव अन्य बुद्धिजीवियों को दिए गये भाषणों से प्रदर्शित होता है इस समय तक उन्होंने महसूस किया था की जल्दी ही भारत को आजादी मिलेगी और लोकतंत्र का आस्तित्व होगा । यह बात अन्य राज्यों के शासको को स्वंतंत्र भारत में एक नयी भूमिका के लिए खुद को तैयार करने के लिए कहा । 
  • निष्कर्ष " लोकतान्त्रिक संविधान होने का मतलब यह नही है की हमारे पास लोकतंत्र है…   लोकतंत्र एक आत्मा है कोई स्वरुप नही है और जिस तरह यह काम करता है वह निर्धारित करता है की यह एक आशीर्वाद है या अभिशाप है "लोकतंत्र की सहिष्णुता, व्यापक मनोदशा, आत्म अनुशासन और द्रढ़संकल्प इसमें  से किसी एक हिस्से की इच्छाओ को पूरा करने से सभी का कल्याण नहीं होता है ।
  • विश्वविद्यालय कालेज एक एसा स्थान होना चहिये, जहा आदर्शो के अभ्यास में जाकर पुरुषो एव महिलाओ में संचार हो जिससे जीवन में आने वाली समस्याओ को अपनी बुद्धिमत्तापूर्ण समझदारी से सुलझा सके, समस्याओ की एक समझदार समझ और सिखने के विशेषाधिकार का उपयोग करने लिए द्रढ़संकल्प का प्रयोग करेगे जो बोझ को हल्का करने  के लिए उनके पास है उनके सहयोगियों के बराबर और बाजार के आदर्शो को दूर करने और उन्हें सत्य, न्याय और सोंदर्य के प्रतिको के साथ बदलते  है ।
  • हर साल मुंबई में आयोजित पेंटागुलर क्रिकेट टूर्नामेंट पर विवाद के साथ में गहरी दिलचस्पी लेता हु और मुझे यह कहना चाहिए, की में केवल सांप्रदायिक क्रिकेट ले खिलाफ नही हु, बल्कि भारत में मौजूद सांप्रदायिक भावनाओ के खिलाफ हु । 
  • " में अपने आदेश पर सभी से कहना चाहता हु , इस देश में लोकतान्त्रिक मूल्यों पर स्वस्थ राजनैतिक ढाचा विकसित करना संभव है, जब तक की हम स्वयं को एकजुट नही करते है इसे हासिल करने में हमें पहले शब्दों में, हमरे शब्दावली से 'अछूत ' शब्द को समाप्त करना चाहिये और लोगो के बीच जाती या पंथ के भेद के बजाये कुछ समानता स्थापित करने के लिए उद्यम होना चाहिए ।
  • 16 जून 1948 को होलकर राज्य का भारतीय संघ में विलय हो गया। महाराजा यशवंतराव द्वितीय पहले महाराजा थे जिन्होंने देश के प्रति अपने राज्य का विलय बिना किसी शर्त पर मंजूर कर लिया ।
  • सत्ता समाप्त होने के बावजूद महाराजा ने रेसीडेन्सी क्षेत्र में गरीबों के लिए नि:शुल्क सात मंजिला प्रदेश का सबसे बड़ा चिकित्सालय महाराजा यशवंतराव चिकित्सालय (M.Y.H) बनवाया। उस समय यह एशिया का सबसे बड़ा अस्पताल था । 

नोट :  यह समस्त जानकारी राजवाडा महल इंदौर में लगे पोस्टर के आधार पर ली गयी है, लेख पढने वालो से मेरा अनुरोध की अगर वे इंदौर में रहते हो तो राजवाडा महल और संग्रहालय देखने अवश्य जाए और अगर आप इन्दोर से बाहर के है तो जब भी आप इंदौर आये तो राजवाडा महल और संग्रहालय देखने अवश्य जाए आपको अद्भुत आनंद की प्राप्ति होगी । 

 । लेख पढने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद ।   

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