अपनी संतान से कैसा व्यवहार उचित है :
आज की पोस्ट में हम इस बात पर चर्चा करेगे की अपनी सन्तान से कैसा व्यवहार उचित है, जैसा बीज आप बोओगे ऐसा ही फल पाओगे, आज की व्यस्त जिंदगी में अपनी संतान के लिए माता पिता के पास समय नही है , अपनी संतान को संस्कारवान बनाने के लिए भी निम्न बातो का ध्यान रखे :-
- भारतीय संस्कृति में बच्चो के सुन्दर सार्थक और प्यारे नाम रखने की प्रथा है (जैसे - शुभम , देवेश , राम , राघव आदि…) इस प्रथा को नही बिगाड़े.
- बच्चो में ऐसी आदत डाले की वे रोते हुए नही उठे.
- बच्चो में भय या लोभ पैदा करके अनुशासित बनाने का प्रयास मत करो.
- बच्चो के सामने गाली जैसे अपशब्द न कहे, अश्लील चुटकुले और गंदे मजाक न करे.
- यदि आप चाहते है की संतान आपका सम्मान करे तो अपना जीवन व्यसन मुक्त बनाये , विषय वासना को नियंत्रण में रखे व ज्यादा बोलना, बार बार खाना- जैसी आदतों से बचे, ध्यान रखे व्यसनी, विकारी, बातून व रसलौलूप पिता तिरस्कार का ही पात्र बनता है.
- बच्चो को 'तू ' न कह कर ' तुम ' कहे, ' आप ' कहना तो और भी अच्छा है, जिससे बच्चे भी सभ्य भाषा बोले.
- प्रतिदिन कम से कम आधा घंटे का समय बच्चो को अलग से दे , उनकी बाते ध्यान से सुने.
- बच्चो के सामने किसी अन्य धर्मं की निंदा या उसका मजाक न करे.
- अंग्रेजी शिक्षा के ज़माने में बच्चो को आपकी मातृभाषा लिखना - पढना अवश्य सिखाये.
- बच्चो को पुस्तके पढने की आदत डाले.
- बच्चो को निश्चित समय पर भोजन दे, निशित समय पर ही कार्य करने की आदत डाले.
- बच्चो को डरावनी कहानिया नही सुनाये, न उनमे भय पैदा करे, न उनको निचा दिखलाये, न उन्हें अपमानित करे , गलती होने पर "भूल हो गयी माफ़ करो" बोलने की आदत डाले.
- बच्चो को आप देते है, साधन और सुविधा - कोई बात नहीं, किन्तु यदि आप उन्हें सुखदाता बनाना चाहते है, "संस्कार संपन्न" बनाना चाहते है तो उन्हें समय दे, अपने धर्म और संस्कृति का ज्ञान दे और भरपूर आत्मीयता दे.
- जो आप अपने बुजुर्गो के सामने नही करते, वो कार्य अपनी संतान के सामने भी ना करे.
- संतान से जिस प्रकार के व्यवहार की अपेक्षा आप नही करते, वैसा व्यवहार देव-गुरु-धर्मं के तुल्य अपने माता पिता से कदापि नही करे.
- एक बात सतत, स्मरण रखे जो अपेक्षा आप अपनी संतान से रखते है, वेसी अपेक्षा आपके अभीभावक आपसे रखते है.
ये कुछ बाते थी जिनका ध्यान रख के आप अपनी संतान से कैसा व्यहार करना है ये सीख सकते है. लेख पढने के लिए आपका धन्यवाद्.
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